Earthing and Grounding:- अगर देखा जाए तो Electrical से चलने वाले किसी भी उपकरण हमारी लाइफ के लिए बहुत फायदेमंद होते हैं लेकिन ये बेहद घातक भी होते हैं अगर इनका सही से Safely उपयोग न किया जाए तो। बहुत सारे लोग Earthing and Grounding में अंतर को नहीं समझ पाते हैं, इस आर्टिकल में मैं आपको Earthing and Grounding में क्या फर्क है इसके बारे में सही से आसान भाषा में बताने वाला हूँ।
Earthing Kya Hota Hai?
Earthing वो होता है जो हमें यानि आदमी को किसी कारणवश करंट लीक होने पर बिजली के झटके लगने से बचाता है। इसमें Zero Potential होती है और इसे उपकरण के बॉडी और जमीन के Surface के बीच में लगाया जाता है।
ये पांच प्रकार के होते हैं जैसे पाइप (Pipe Earthing), प्लेट (Plate Earthing), रॉड (Rod Earthing), टैप (Tap Earthing) और स्ट्रिप (Strip Earthing)
Earthing का तार हरे रंग (Green color) का होता है।
हम साइट पर Earthing को ट्रांसफॉर्मर, जनरेटर, मोटर और अन्य Electrical Appliances में लगा हुआ देखते हैं। Earthing मुख्य रूप से मनुष्यों को बिजली के झटके लगने से बचाने के लिए उपयोग किया जाता है।
Grounding Kya Hota Hai?
अब देखते हैं की Grounding क्या होता है? Grounding पूरे पावर सिस्टम (Power system) को खराब होने से बचाता है। इसमें कोई Zero Potential नहीं होता है और इसे उपकरण और जमीन के Neutral के बीच लगाया जाता है।
Grounding के तीन प्रकार होते हैं- Solid Grounding, Resistance Grounding और Reactance Grounding।
ज्यादातर ग्राउंडेड के तार काले रंग (Black Color) के होते हैं।
हम इसे साइट पर या किसी भी एरिया में Generator और बिजली ट्रांसफार्मर में Neutral के रूप में लगा हुआ देख सकते हैं जो जमीन से जुड़े हुए होते हैं। Grounding करंट को रिटर्न पाथ (Return Path) प्रदान करता है। और यह मुख्य रूप से इलेक्ट्रिक सिस्टम ओवरलोड (Overload) होने पर संतुलित करने के लिए उपयोग किया जाता है।
Difference Between Earthing and Grounding
ऊपर दिए गए कंटेन्ट से आप ये समझ गए होंगे की Earthing and Grounding की परिभाषा क्या होती है, और इसके कितने प्रकार और इन्हें क्यूँ इस्तेमाल किया जाता है। बहुत सारे लोग Earthing and Grounding को एक ही समझते हैं, लेकिन ऐसा नहीं ये दोनों अलग अलग टर्म्स हैं और इनके अलग अलग उपयोग होते हैं। जैसा की आपने ऊपर पढ़ा की दोनों का काम अलग होता हैं, इसीलिए दोनों को एक समझने की गलती नहीं करनी चाहिए।
Earthing और Grounding में मुख्य अंतर ये है की अगर किसी उपकरण में Electrical लीक के कारण अगर करंट आ जाता है तो Earthing उस करंट को जमीन के नीचे भेज देता है और आदमी को करंट (Electric Shock) लगने से बचाता है। वही अगर Grounding की बात की जाए तो ये करंट को रिटर्न पाथ प्रदान करता है। और यह मुख्य रूप से इलेक्ट्रिक सिस्टम के ओवरलोड (Overload) होने पर संतुलित करने के लिए उपयोग किया जाता है, और ये पूरे पावर सिस्टम (Power system) को खराब होने से बचाता है।
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साइट पर बहुत प्रकार के Equipment का उपयोग किया जाता है, जैसे Diesel Generator (DG), Welding Machine, Air Compressor आदि। इन सभी को सही से Earthed किया जाना चाहिए ताकि लोगों की Safety को सुनिक्षित किया जा सके। साइट पर जब हम इन्स्पेक्शन करें तो ये चेक जरूर करें की इसमे Earthing को लगाया गया है की नहीं और इसके पॉइंट्स जमीन से सही व्यवस्था से जुड़े होने चाहिए।
इसका कनेक्शन ढीला नहीं होना चाहिए और सही से क्लम्प के साथ टाइट होना चाहिए। ताकि किसी भी प्रकार के करंट लीक होने पर इसके जमीन में ट्रांसफर होने में कोई बाधा ना हो पाए। Earthing इंसान के जीवन को बचाने और इसे करंट लगने से बचाने के लिए होता है, इसीलिए इसे सही से लगाने पर ध्यान देने की जरूरत होती है।